इन टेलीविजन अभिनेताओं के साथ हुए हैं चमत्कार, जानिए किसने क्या कहा!
shilpa thakur |अक्टूबर 14, 2019
'यहां ना तो अच्छाई है और ना ही बुराई है, बुराई, अच्छाई और बदसूरती के बीच का अंतर इंसानों द्वारा बनाया गया है', टेलीविजन एक्टर राजेश कुमार ने कहा
भारत में मंगलवार को दशहरा का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया गया है। यहां इस दिन को बुराई पर अच्छी की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दशहरा के मौके पर टेलीविजन अभिनेताओं ने अपने चमत्कार अनुभवों को साझा किया है।
संजय गगनानी
दशहरा सबके लिए एक रिमाइंडर होता है कि अच्छाई हमेशा बुराई और ईर्ष्या को खत्म कर देती है। मैं खुद अपने जीवन में कई बार इसका गवाह बना हूं। जैसा कि वे कहते हैं, जो जाता है वही आता है। जो भी आप बोते हैं, वही काटते हैं। ये सच है। जिस किसी ने भी मेरे साथ गलत या फिर बुरा किया है, उन्हें जीवन ने ही सिखाया है। तभी हम जानते हैं कि संतुलन के लिए ब्रह्माण बेहद अमह भूमिका अदा करता है। कर्मा हमेशा चमत्कार देता है। जैसा कहते हैं, कभी भी अच्छा काम कहीं नहीं खोएगा, हमें हमेशा अच्छा करते रहना चाहिए, तभी हमारे साथ अच्छी चीजें होंगी।
रोहिताश्व गहौर
मेरे जीवन में, मैंने हमेशा चमत्कार महसूस किया है कि अच्छाई हमेशा बुराई से जीतती है, आप सच को हारता हुआ देख सकते हैं लेकिन वह वास्तव में हारता नहीं हैं। ऐसा ही कुछ मेरी मां के साथ भी हुआ था, चीजें उनके खिलाफ थीं, लेकिन वो ईमानदार थीं कि स्थितियां बदलती रहती हैं और जो लोग उनके खिलाफ हैं वो हारेंगे। ये बात एकदम सच है कि सच हमेशा बुराई से जीतता है।
अमित सारिन
कुछ पुराने समय की बातें जो हमारे त्योंहारों के समय हमारे सामने आती हैं, यही वो चीज है जो हमें याद दिलाती है कि हमारे जीवन के हर दिन में। अच्छाई का मतलब होता है सहानुभूति होने की क्षमता, दया होना और दूसरों की जरूरत को अपनी खुद की जरूरत समझना। इसका मतलब है, अस्वार्थी होना, किसी बड़ी राहत के लिए अपना त्याग करना, वो सब विशेषताएं जो संवेदना से जुड़ी होती हैं। बुराई स्वकेंद्रित होती है, लालची होती है, जब किसी एक की जरूरत और चाहत काफी ऊंचाई पर पहुंच जाती है। तो बुराई पर अच्छाई की जीत का अभ्यास करें। शुभ दशहरा।
श्रीधर वतसर
मेरे कॉलेज के दिनों में, जब मैं 11वीं कक्षा में था, कुछ लड़कों ने मेरी रैगिंग की लेकिन मैं आतंरिक रूप से स्थिर था। कुछ दिनों के बाद, वो लड़के मेरे अच्छे दोस्त बन गए, इस तरीके से मैंने बुराई पर अच्छाई की जीत देखी है।
सचिन पारेख
मैं आपको निजी तौर पर ये जरूर कहूंगा कि अपने जीवन के हर पल मैंने चमत्कार महसूस किया है बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। हर किसी का जीवन चुनौतियों और नए संघर्षों से भरा होता है, लेकिन अच्छे और तनावमुक्त जीवन का रहस्य है कि बुराई को खुला छोड़ दो और जीवन में सकारात्मकता लाओ। जीवन एक सर्कल की तरह है और आपका कर्मा आपके पास वापस लौटकर आता है, और आपके जीवन को जल्दी या देरी से हिट करता है। तो, मैं इस चमत्कार में विश्वास करता हूं और अपने रोजमर्रा के जीवन में आजमाता हूं।
अमल शेरावत
अभी हाल ही में, मेरे साथ एक दुर्घटना हुई है। मुझे एक वेब सीरीज के लिए चुना गया था और मैंने उसके लिए काफी मेहनत भी की। कोई मेरी इमेज खराब करने की कोशिश कर रहा था ताकि मैं उससे बाहर हो जाउं और उसे मेरा रोल मिल जाए। मैं गुस्से में था लेकिन मैंने नकारात्मकता से ऊपर आस्था को चुना। मैं अभी भी सकारात्मक मन के साथ कड़ी मेहनत करता हूं और आखिरकार सीरीज की शूटिंग कर रहा हूं। मैं विश्वास करता हूं कि अगर आप दूसरों के बारे में बुरा नहीं सोचते हैं तो भगवान आपके साथ कभी कुछ गलत नहीं होने देगा।
अविनाश मिश्रा
मैं चमत्कार का गवाह रहा हूं। एक समय था जब मेरे परिवार की आर्थिक हालत काफी खराब चल रही थी, जिसका कारण परिवार में चल रही प्रतिस्पर्धा थी। लेकिन मेरे पिता ने परिवार के किसी भी सदस्य से कुछ भी नहीं कहा क्योंकि वो जानते थे कि उनके साथ उनके ही परिवार के लोग धोखा कर रहे हैं। लेकिन जैसा कि हम कहते हैं, हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। मेरे पिता को बैंक में प्रमोशन मिल गया। और हम नए शहर में आ गए और जिन लोगों ने हमारे साथ धोखा किया उन्होंने अपना सारा पैसा गंवा दिया और उनका बिजनेस भी डूब गया लेकिन फिर भी मेरे पिता ने उनकी मदद की।
आशीष त्रिवेदी
हम सभी की अच्छी और बुरी दोनों दृष्टि होती हैं। हमें लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए, जो उन्हें अच्छा लगता है। हर किसी का अपना अच्छे और बुरे का आइडिया होता है और हमेशा अच्छा ही चुनना चाहिए और बुराई से लड़ना चाहिए। दुनिया को एक अच्छा स्थान बनाने के लिए इतना काफी है।
राजेश कुमार
यहां ना तो अच्छाई है और ना ही बुराई है, बुराई, अच्छाई और बदसूरती के बीच का अंतर इंसानों द्वारा बनाया गया है। आपका दिमाग दुनिया को अच्छे और बुरे में बांट देता है, कुछ भी बुरा नहीं है, हर चीज की अपनी सुंदरता और अपना उद्देश्य होता है। यहां किसी इंसान और किसी चींटी में भी कोई अंतर नहीं है। मेरे लिए, दशहरा एक पल है अंधेरे से रौशनी तक, अज्ञानता से जागरुकता तक। मेरे लिए रैली फॉर रीवर सबसे बड़ा उदाहरण है। मैं नदी की स्थिति को लेकर कुछ नहीं जानता था, और पेड़ जो कि बुरी चीज थी, जो कि मेरे ही अंदर थी कि मैं पर्यावरण, मिट्टी और प्रकृति में हो रहे बदलाव से अनभिज्ञ था। लेकिन नदी के लिए रैली के बाद से बुराई अच्छाई में बदल गई और मैं एक्टिंग से हट गया और पर्यावरणीय विकास के लिए योगदान दिया। मैंने धरती, ग्रह और प्रकृति के भले के लिए काम किया है।
- टैग
कमेंट
इसके मुताबिक क्रम से लगाएं नवीनतम | लोकप्रिय